सोमवार, 12 मार्च 2012

योरोपीय हिन्दी कॉन्फ्रेंस 2012


योरोपीय हिन्दी कॉन्फ्रेंस 2012
- (डॉ.) कविता वाचक्नवी



स्पेन के वय्यादोलिद विश्वविद्यालय में " यूरोप में विदेशी भाषा के रूप में हिंदी शिक्षण : वर्तमान परिदृश्य " (Teaching Hindi as Foreign Language : Perspectives) विषयक संगोष्ठी की योजना गत वर्ष के अंत से बन रही थी। अब यह योजना साकार होने जा रही है। 


वय्यादोलिद विश्वविद्यालय भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के सौजन्य से वय्यादोलिद में यूरोपीय हिंदी संगोष्ठी का आयोजन कर रहा है।  स्पेन में यह पहली हिंदी संगोष्ठी है। 



यह संगोष्ठी 15, 16 और 17 मार्च 2012 को आयोजित की जा रही है। 


संगोष्ठी का विषय है, " विदेशी भाषा के रूप में हिंदी शिक्षण : एक परिदृश्य "। यूरोप स्थित विभिन्न विश्वविद्यालयों में हिंदी के अध्ययन, अध्यापन और शोध की सुदीर्घ परंपरा है।  इस संगोष्ठी का उद्देश्य हिंदी अध्यापन से जुडी हुई समस्याओं और उनके निदान पर चर्चा परिचर्चा करना है।  


संगोष्ठी में निम्न लिखित सत्र होंगे -


(i) उद्घाटन सत्र


  

(ii) प्रथम सत्र - पूर्वी और पश्चिमी यूरोप में हिंदी शिक्षण : वर्तमान परिदृश्य ( देश विशेष के सन्दर्भ में ) 




(iii) द्वितीय सत्र - उत्तरी, दक्षिणी तथा मध्य यूरोप में हिंदी शिक्षण : वर्तमान परिदृश्य ( देश विशेष के सन्दर्भ में ) 



(iv) तृतीय सत्र - भाषा प्रौद्योगिकी और हिंदी शिक्षण में उसका अनुप्रयोग 



(v) चतुर्थ सत्र - हिंदी शिक्षण तथा पाठ्यक्रम सम्बन्धी समस्याएँ और समाधान



(vi) समापन सत्र

उक्त संगोष्ठी में अधिकतम संख्या में यूरोपीय हिंदी विद्वानों के अतिरिक्त कुछ विशिष्ट भारतीय विद्वान् भी सम्मिलित होंगे। 


उल्लेखनीय है कि स्पेन में ये हिन्दी की पहली संगोष्ठी है। 


वय्यादोलिद विश्वविद्यालय में  हिन्दी के प्राध्यापक प्रो. श्रीशचन्द्र जैसवाल  के प्रयत्नों व पहल से  आयोजित होने जा रही इस संगोष्ठी से पूर्व अभी तक यहाँ हिन्दी को केंद्र में रखकर इतना बड़ा कोई वैचारिक कार्यक्रम नहीं हुआ। 


वय्यादोलिद स्पेन में उच्च शिक्षा का सबसे पुराना और प्रतिष्ठित केंद्र है. तेरहवीं शती  में स्थापित इस विश्व विद्यालय में वर्तमान समय में  में 28 हज़ार से अधिक विद्यार्थी और अढ़ाई हज़ार से भी अधिक प्राध्यापक है। 


इस संगोष्ठी में भाग लेने व अपना प्रपत्र प्रस्तुत करने के लिए मैं भी आज स्पेन की यात्रा पर निकल रही हूँ।

मेरे प्रपत्र का विषय है - " भाषा-प्रकार्यों के अधुनातन संदर्भ और हिन्दी "





4 टिप्‍पणियां:

  1. कविता जी, आप स्पेन में होने वाली यूरोपीय हिंदी संगोष्ठी के आयोजन में जा रही हैं इस जानकारी के लिये धन्यबाद व ढेरों शुभकामनायें.

    जवाब देंहटाएं
  2. कविता जी, बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ,आपका यूरोपीय हिंदी संगोष्ठ का आयोजन बेहद सफल रहा. विश्व फलक पर हिंदी का सितारा आप जैसी विभूतियों से चमक उठा है, यह एक गर्व की बात है. मेरा एक विनम्र अनुरोध है कि इस गोष्ठी में जो प्रपत्र पढ़े गए हैं उन्हें आप क्या यहाँ उपलब्ध करावा सकती हैं ? मैं भी हिन्दी शिक्षण से जुडी हुई हूँ, सो चाहती हूँ कि आपके और अन्य विद्वजनों के प्रपत्रों से अपना ज्ञानवर्धन कर सकूँ..अनेक शुभकामनाओं के साथ-
    मंजु महिमा भटनागर .
    educational fellow,
    educational initiatives,
    Ahmadabad.(Gujarat)
    mail ID- manju@ei-india.com

    जवाब देंहटाएं
  3. @मंजु जी, आगामी दिनों में धीरे धीरे वे सारे प्रपत्र एक एक कर क्रमाश: सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करवाए जाएँगे, प्रकाशित किए जाएँगे।

    आप दोनों की शुभकामनाओं के लिए आभारी हूँ।

    जवाब देंहटाएं
  4. Bahut der se padhi yeh khabar. :(
    Aap yahaan aaye aur ham aapse milna to door jaan bhi nahi paaye. :(
    Sad.

    Sangoshthi me participate karne ke liye bahut badhai aapko kavita jee.

    जवाब देंहटाएं

आपकी सार्थक प्रतिक्रिया मूल्यवान् है। ऐसी सार्थक प्रतिक्रियाएँ लक्ष्य की पूर्णता में तो सहभागी होंगी ही,लेखकों को बल भी प्रदान करेंगी।। आभार!

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...